हिमायतनगर, अनिल मादसवार | हिमायतनगर रेलवे स्टेशन का कायापलट करने का काम पिछले दो सालों से चल रहा है। लेकिन 42 करोड़ रुपए की भारी भरकम लागत खर्च होने के बावजूद काम कछुए की चाल से आगे बढ़ रहा है। ठेकेदार द्वारा घटिया सामग्री का उपयोग, गंभीर अनियमितताएं और सुरक्षा की अनदेखी सामने आई है। इससे नाराज़ यात्रियों ने ठेकेदार की नाकामी पर कड़ी आपत्ति जताई है।

घटिया काम का खुलासा
दो साल पहले बनाए गए रेलवे प्लेटफॉर्म की सीमेंट-कंक्रीट की परत तोड़कर दोबारा घटिया स्तर का काम किया जा रहा है। लोहे की पतली छड़ों का इस्तेमाल साफ दिख रहा है। यात्रियों का आरोप है कि ठेकेदार नियमों को दरकिनार कर करोड़ों का घोटाला कर रहा है। पुरानी इमारत को केवल बाजू सी दुसरी दिवार बनाकर प्लास्टर कर “नवीनीकरण” दिखाने की कोशिश हो रही है।

यात्रियों की जान जोखिम में
अधूरे शेड, रात में मात्र 20 मिनट बिजली आपूर्ति, बैरिकेट्स और सूचना फलक का अभाव – इन सब कारणों से हादसों का खतरा लगातार बढ़ रहा है। रात के समय यात्रियों को अंधेरे में ट्रेन पकड़नी पड़ती है। कई यात्री लोहे की छड़ों और गड्ढों में फिसलकर घायल भी हुए हैं। यात्रियों का कहना है कि ठेकेदार का यह गैरजिम्मेदार रवैया उनकी जान से खिलवाड़ है।



❓ बड़े सवाल खड़े हुये है, करोड़ों खर्च होने के बावजूद दो साल में काम क्यों पूरा नहीं हुआ? क्या रेलवे अफसरों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार हो रहा है? यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा? स्थानीय नागरिकों ने मांग की है कि विभागीय रेलवे प्रबंधक तुरंत निरीक्षण करें, दोषी ठेकेदार पर कार्रवाई हो और बजट के अनुसार गुणवत्तापूर्ण काम पूरा किया जाए।

🚉 सुविधाओं का अभाव
हिमायतनगर रेल स्टेशन पर शौचालय और पार्सल की सुविधा नहीं है। काजीपेठ-मुंबई ट्रेन पिछले 3-4 महीने से बंद है। धनबाद एक्सप्रेस का भी ठहराव नहीं है। यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। नागरिकों की चेतावनी है की, “अमृत भारत योजना” के तहत 42 करोड़ का खर्च हो रहा है, लेकिन काम अधूरा है। अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो नागरिक और सामाजिक संगठन सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।