हिमायतनगर (एम अनिलकुमार) हिमायतनगर नगर पंचायत के मेयर (महापौर) पद ओपन वर्ग के लिए आरक्षण की घोषणा होते ही शहर का राजनीतिक माहौल गरमा गया है। इस बार मेयर का चुनाव सीधे जनता से होगा, इसलिए राजनीतिक समीकरणों में बड़े उलटफेर के संकेत साफ़ दिखाई दे रहे हैं। आरक्षण की घोषणा होते ही शहर के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी उम्मीदवारों का प्रचार तेज़ हो गया है। सोशल मीडिया पर उम्मीदवारों को लेकर खूब चर्चा हो रही है।
आरक्षण की घोषणा के कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर संभावित उम्मीदवारों की पोस्टर, बैनर और वीडियो की बाढ़ आ गई। कई लोग खुद को “भावी मेयर” और “जनता का नेता” बताकर प्रचार में जुट गए हैं। समर्थक भी “हमारा उम्मीदवार”, “जनता का मेयर” जैसे नारे लगाकर माहौल गर्मा रहे हैं। कुछ लोग जन्मदिन, श्रद्धांजलि और भावनात्मक पोस्ट डालकर भी पहचान बनाने में जुटे हैं। नुक्कड़ से लेकर बाजार तक एक ही सवाल “मेयर कौन?” चाय की टपरी हो, होटल हो या बाजार हर जगह एक ही चर्चा है: “कौन मैदान में उतरेगा?” “किसे किसका समर्थन मिलेगा?” “इस बार स्थानीय चेहरा होगा या बाहरी?” राजनीतिक हलकों से लेकर आम नागरिकों की चर्चाओं में कुछ नाम भी उभरने लगे हैं।
पूर्व महापौर, उपमहापौर और अनुभवी नेताओं ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। युवा और नए चेहरे भी जातीय व सामाजिक समीकरण साधने में जुट गए हैं। प्रचार के लिए ग्राफ़िक डिज़ाइनर, प्रचारक और सोशल मीडिया टीम पहले से तैयार की जा रही है। कई संभावित उम्मीदवार गठबंधन और पैनल की राजनीति पर दांव लगा रहे हैं। ऐसे देखते हुए पुराने और नए चेहरों में टक्कर होणे कि संभावनाए बडी है, और पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई होनेवाली है। भाजपा, राकांपा, कांग्रेस, शिवसेना, वंचित, मनसे, एमआईएम और स्थानीय पैनल सभी दलों में अंदरखाने में रणनीतियाँ बननी शुरू हो गई हैं। इस बार जनता सीधे मेयर चुनेगी, इसलिए पार्टी से ज़्यादा व्यक्ति की लोकप्रियता और छवि मायने रखेगी।
जनता की आवाज़ —
“हमें ठेकेदार नहीं, विकासकर्मी नेता चाहिए” सोशल मीडिया और आम चर्चाओं में नागरिकों की बातें साफ़ हैं: “मेयर की कुर्सी पर पढ़ा-लिखा, ईमानदार और जनहित में काम करने वाला नेता होना चाहिए।” “पार्टी नहीं, काम करने वाले को वोट देंगे।” “पानी, सड़क, नालियाँ, सफ़ाई और महिला सुरक्षा यही असली मुद्दे हैं।” “गाँव को बेचने वाला नहीं, गाँव को बनाने वाला चाहिए।”
आने वाले दिन बेहद अहम
आरक्षण की घोषणा के बाद अब उम्मीद है कि आने वाले दिनों में राजनीतिक सरगर्मी और बढ़ेगी। उम्मीदवारों के नाम, पैनल की रणनीति और प्रचार का शोर दिवाली के बाद कुछ हफ्तों में चरम पर होगा। और फिलहाल पूरे हिमायतनगर में एक ही सवाल गूंज रहा है “हिमायतनगर का मेयर कौन होगा?” इस स्थिति को देखते हुए, आने वाले दिन राजनीतिक गपशप, अटकलों, बहसों और सोशल मीडिया पोस्ट्स से और भी रंगीन होने वाले हैं।