हिमायतनगर (एम अनिलकुमार) हिमायतनगर के रजिस्ट्री एवं भू-अभिलेख कार्यालय में इन दिनों दलालों का बोलबाला बना हुआ है। जमीन से जुड़े कार्यों के लिए आने वाले किसानों और नागरिकों को सीधे काम कराने के बजाय दलालों के माध्यम से ही काम करवाना पड़ता है। बताया जा रहा है कि बिना दलालों के फाइल आगे बढ़ाना मुश्किल हो गया है।

हिमायतनगर शहर एक तालुका क्षेत्र है, और ज़मीन, मकान, ज़मीन, प्लॉट खरीदने-बेचने वाले नागरिकों की रजिस्ट्री कार्यालय में हमेशा भीड़ लगी रहती है। इसलिए, प्रमाण पत्र, नक्शे और इसके लिए आवश्यक अन्य दस्तावेज़ों के लिए उन्हें भू-अभिलेख कार्यालय जाना पड़ता है। हालाँकि, दलालों के हस्तक्षेप के कारण आम आदमी के लिए अधिकारियों तक पहुँचना मुश्किल हो गया है, और उन्हें काम के लिए दलालों पर निर्भर रहना पड़ता है।

कई लोगों ने इसकी शिकायत की है, लेकिन ऐसा लगता है कि कोई फर्क नहीं पड़ा है। नागरिकों की शिकायतों के अनुसार, दलाल किसी भी दस्तावेज़ की जाँच, पंजीकरण और उसकी प्रतियाँ प्राप्त करने के लिए बिचौलियों का काम करते हैं। आरोप लगाया जा रहा है कि सरकारी काम में तेज़ी लाने के नाम पर बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी चल रही है। कुछ दलाल कार्यालय परिसर में खुलेआम घूम रहे हैं, और शिकायतकर्ताओं और नागरिकों का कहना है कि उन्हें अधिकारियों और कर्मचारियों का समर्थन प्राप्त है।

साथ ही, कई नागरिकों ने कहा कि “ऑनलाइन व्यवस्था होने के बावजूद, लेन-देन पारदर्शी नहीं है।” यह साफ़ दिख रहा है कि दलालों के कारण सरकारी कार्यालयों पर जनता का विश्वास कम हो रहा है। आम नागरिक इन दलालों की कार्यप्रणाली से स्तब्ध हैं, और सरकारी कर्मचारियों के बजाय रजिस्ट्री और भू-अभिलेख कार्यालयों में काम करने वाले दलालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने मांग की है कि काम पारदर्शी हो और जनता को आसान सेवाएँ प्रदान की जाएँ। कार्यालय परिसर को दलाल मुक्त बनाया जाए।

अगर प्रशासन तुरंत जाँच और कार्रवाई नहीं करता है, तो दलालों और उनके माध्यम से काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भूख हड़ताल शुरू की जाएगी। मिर्ज़ा नुहीबेग ने पत्रकारों से बात करते हुए यह चेतावनी दी है।

स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि रजिस्ट्री, नकाशे की प्रतियां, नामांतरण और भू-अभिलेख से जुड़ी फाइलें “स्पीड” में तभी निकलती हैं जब दलालों को मोटी रकम दी जाए। कई बार तो कार्यालय परिसर के बाहर ही दलाल खुलेआम लोगों से सौदेबाज़ी करते दिखते हैं। एक किसान ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हमने खुद फाइल जमा की थी, पर महीनों तक कुछ नहीं हुआ। दलाल को पैसे दिए तो दो दिन में काम हो गया।”

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