मुंबई| इस वर्ष राज्य में हुई भीषण अतिवृष्टि के कारण व्यापक स्तर पर फसलों का नुकसान हुआ है। इस आपदा से 29 जिले प्रभावित हुए हैं, जिनमें 253 तालुके और 2,059 मंडल प्रभावित क्षेत्रों में शामिल हैं। किसानों को त्वरित राहत देने के लिए सरकार ने 65 मिमी वर्षा की शर्त हटाते हुए सभी प्रभावित किसानों को सामूहिक रूप से मुआवजा देने का निर्णय लिया है, ऐसी जानकारी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दी।

मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि राज्य के नुकसानग्रस्त किसानों के लिए 31,628 करोड़ रुपये का राहत पैकेज तैयार किया गया है। इस पैकेज के अंतर्गत असिंचित खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 18,500 रुपये, मौसमी सिंचित फसलों के लिए 27,000 रुपये, तथा सिंचित फसलों के लिए 32,500 रुपये प्रति हेक्टेयर सहायता दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह किसानों के लिए सहायता दीवाली से पहले वितरित करने का प्रयास रहेगा, और यह अब तक की सबसे बड़ी आर्थिक मदद है।

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मंत्रालय में आयोजित पत्रकार परिषद में मुख्यमंत्री फडणवीस ने किसानों के लिए की गई सहायता की सविस्तर जानकारी दी। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुळे, कृषि मंत्री दत्तात्रय भरणे, जलसंपदा मंत्री गिरीश महाजन, इतर मागास बहुजन कल्याण मंत्री अतुल सावे, मदद एवं पुनर्वसन मंत्री मकरंद जाधव पाटील, परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक, लोकनिर्माण मंत्री शिवेंद्रसिंह भोसले, मुख्य सचिव राजेशकुमार, तथा वित्त, कृषि और पुनर्वसन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।


मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि अतिवृष्टि के कारण फसलें, पशुधन, घर, दुकानें और खेती को भारी नुकसान हुआ है तथा कई लोगों की मृत्यु भी हुई है। मंत्रिमंडल के सदस्यों ने स्वयं प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर 10,000 रुपये की तात्कालिक मदद और खाद्यान्न सामग्री (गेहूं, चावल आदि) उपलब्ध कराई। इसके लिए 2,200 करोड़ रुपये का पहला हप्ता तत्काल मंजूर किया गया है।

बीमित किसानों को शीघ्र सहायता दिलाने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं प्रयासरत हैं। साथ ही अबीमित किसानों को भी प्रति हेक्टेयर 17,000 रुपये की सहायता दी जाएगी। इस मुआवजे के लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस वर्ष 1.43 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में खेती की गई, जिसमें से 68.67 लाख हेक्टेयर क्षेत्र अतिवृष्टि से प्रभावित हुआ है।
ऐसा है पॅकेज : जिन किसानों के घरों को नुकसान हुआ है, उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत सहायता दी जाएगी। पहाड़ी क्षेत्रों में घर बनाने के लिए अतिरिक्त 10,000 रुपये मिलेंगे। जिन दुकानों को नुकसान हुआ है, उन्हें 50,000 रुपये, मृत पशुओं के लिए (तीन पशुओं की शर्त हटाकर) प्रति पशु 37,500 रुपये, तथा प्रति मुर्गी 100 रुपये की भरपाई दी जाएगी।
मिट्टी बह गई भूमि को दोबारा खेती योग्य बनाने के लिए 47,000 रुपये प्रति हेक्टेयर सीधी सहायता और मनरेगा के तहत 3 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर दिए जाएंगे। क्षतिग्रस्त कुओं के लिए 30,000 रुपये प्रति कुआं, और मत्स्यपालन व नौकाओं की क्षति के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि किसानों को सहायता के लिए कोई कागजात जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि सभी जानकारी एग्रीस्टैक के माध्यम से प्राप्त की जाएगी। ग्रामीण ढांचागत सुविधाओं के पुनर्निर्माण के लिए 10,000 करोड़ रुपये और जिल्हा नियोजन समितियों के निधि का 5%, यानी 1,500 करोड़ रुपये, पूरग्रस्त भागों के लिए आरक्षित रखे गए हैं। इन क्षेत्रों में सूखा राहत की सभी रियायतें लागू की जाएंगी। बळीराजा वीज सवलत योजना के तहत किसानों के कृषि पंपों के बिजली बिल पहले ही माफ कर दिए गए हैं, इसलिए बिजली बिल की कोई वसूली नहीं की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस संकट में मुख्यमंत्री सहायता निधि में समाज और उद्योग जगत से बड़े पैमाने पर सीएसआर (सामाजिक उत्तरदायित्व निधि) के माध्यम से मदद मिल रही है। जो सहायता सरकारी नियमों में शामिल नहीं है, वह भी इस निधि से दी जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि बाढ़ में जिन विद्यार्थियों की पुस्तके या दस्तावेज बह गए हैं, उनके शिक्षण में कोई बाधा नहीं आने दी जाएगी।
संकट की घड़ी में किसानों के साथ सरकार खड़ी है – उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि आसमानी संकट से प्रभावित किसानों को संबल देने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। पूरग्रस्त क्षेत्रों में 10,000 रुपये की तात्कालिक सहायता दी गई है।“ऐसे संकट के समय में अन्नदाता किसान की मदद के लिए सरकार ने सभी शर्तें हटाकर किसानहित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है,” शिंदे ने कहा।
उन्होंने बताया कि राज्य में लगभग 65 लाख हेक्टेयर भूमि पर फसलों का नुकसान हुआ है। कई स्थानों पर मिट्टी बह जाने से खेती करना कठिन हो गया है। “लेकिन किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, सरकार पूरी मजबूती से उनके साथ खड़ी है,” ।
मिट्टी बह गई भूमि के लिए ₹47,000 प्रति हेक्टेयर सहायता और मनरेगा से ₹3 लाख प्रति हेक्टेयर की अतिरिक्त मदद दी जाएगी। रबी सीजन की बुआई के लिए भी किसानों को ₹10,000 प्रति हेक्टेयर सहायता मिलेगी। राज्य सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव के बाद केंद्र सरकार भी सहायता प्रदान करेगी।
शिंदे ने बताया कि केंद्र और राज्य दोनों ही किसान हित में समर्पित हैं — केंद्र की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की रकम के साथ ही राज्य की नमो शेतकरी सन्मान योजना के तहत किसानों को प्रति वर्ष ₹6,000 की सहायता दी जा रही है। “इस पैकेज से नुकसानग्रस्त किसान दोबारा अपने पैरो पर खड़े होंगे ,” उन्होंने कहा।
एनडीआरएफ के मापदंडों से आगे बढ़कर तीन हेक्टेयर तक सहायता – उपमुख्यमंत्री अजित पवार
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि अतिवृष्टि के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है — खेतों की मिट्टी बह गई, पशु मृत हुए है, और पशुशालाओं का नुकसान हुआ है। सरकार इस राहत पैकेज के माध्यम से किसानों को भरपूर आर्थिक सहायता दे रही है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी किसान सहायता से वंचित न रहे। उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ के दो हेक्टेयर सहायता सीमा को बढ़ाकर तीन हेक्टेयर तक सहायता दी जाएगी। “यदि कोई किसान फिर भी सहायता से वंचित रह गया, तो उसे भी मदद अवश्य दी जाएगी,” ऐसा आश्वासन उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने दिया।