हिमायतनगर (एम अनिलकुमार) “जय जवान, जय किसान… जान देंगे ज़मीन नहीं ” ज़मीन हमारे हक कि, नहीं किसी के बाप कि… इन नारों ने कामारी इलाके को हिलाकर रख दिया। हिमायतनगर तालुका के कामारी में रविवार (24 अगस्त) को सहस्त्रकुंड जलविद्युत परियोजना पैनगंगा बाँध के खिलाफ एक विशाल महाएल्गार सभा आयोजित की गई। यह सभा उसी हनुमान मंदिर इलाके में हुई जहाँ आठ दिनों से हो रही भारी बारिश ने गाँव को घेर रखा था। इस बार सभी से एकजुट होकर इसके लिए लड़ने की अपील की गई। साथ ही, मुख्य मार्गदर्शक वक्ताओं ने सरकार को निगनूर में होने वाली सहस्रकुंड जलविद्युत परियोजना को निष्कासित करने, समाप्त करने, बंद करने, सिंचाई समस्या के समाधान के लिए विकल्प खोजने, नदी के किनारे 10 किलोमीटर तक बैराज बनाने, सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन करने का संदेश दिया।
हिमायतनगर तालुका में नदी के किनारे कामारी गाँव में आयोजित महाएल्गार सभा की अध्यक्षता पर कोंडाबाराव शिरफुले विराजमान थे। मुख्य मार्गदर्शक प्रल्हादराव जगताप पाटिल, अध्यक्ष – निचली पैनगंगा बाँध विरोधी संघर्ष समिति (विदर्भ-मराठवाड़ा), मुबारक तवर, प्रचार प्रमुख और संगठन सचिव, निचली पैनगंगा बाँध विरोधी संघर्ष समिति और यवतमाल जिला परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष, प्रल्हाद गावंडे सर, डॉ. अविनाश खंडारे, डॉ. रेखाताई पाटिल चव्हाण, प्रकाश पेंदे, दिनेश रावते, प्रो. संध्याताई कदम, चक्रधर पाटिल देवसरकर थे, जिन्होंने बैठक में किसानों का मार्गदर्शन किया। बैठक में उपस्थित प्रमुख गणमान्यों में पूर्व विधायक प्रकाश पाटिल देवसरकर, स्वराज्य पार्टी के माधवराव पाटिल देवसरकर, कृष्णा पाटिल आष्टीकर शामिल थे, और गायक सुनील चव्हाण जिन्होंने गीत प्रस्तुत कर किसानों को जगाने का प्रयास किया।
बैठक में विभिन्न वक्ताओं ने अपने परिचयात्मक भाषणों में सहस्त्रकुंड जलविद्युत परियोजना को रद्द करने की पुरजोर मांग की। इस परियोजना के कारण नदी किनारे बसे लगभग 40 गाँवों के किसानों की हजारों हेक्टेयर उपजाऊ कृषि भूमि जलमग्न हो जाएगी। यह मुद्दा उठाते हुए कि इससे किसानों, खेत मजदूरों और ग्रामीणों का जीवन तबाह हो जाएगा, यह दृढ़ निश्चय व्यक्त किया गया कि “किसान भाइयों निंद से जागो..सहस्त्रकुंड परियोजना रद्द हो। ऐसे नारे लगाये गये” विदर्भ-मराठवाड़ा के डूब क्षेत्रों से हजारों किसान, खेत मजदूर और ग्रामीण बड़ी संख्या में इस बैठक में शामिल हुए और धरन विरोधी संघर्ष का समर्थन किया।
कुल मिलाकर, पिछली सिरपल्ली बैठक के बाद, यह दूसरी महा एल्गार बैठक कामारी में आयोजित हुई, और यह देखा गया कि किसान इस परियोजना के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। आरोप लगाया गया कि महाराष्ट्र में बने पुरानी परियोजना के अधूरे रहते हुए नई परियोजना बनाकर बाँध बनाने और पहले से ही जलमग्न भूमि को जलमग्न करने का प्रयास किया जा रहा है। इस बात को ध्यान में लेकरं सभी किसान बड़ी संख्या में बाँध विरोधी संघर्ष समिति की आगामी बैठक में उपस्थित होकर बाँध का पुरज़ोर विरोध करें। साथ ही, हर गाँव में अलग-अलग समितियाँ बनाने और समिति के साथ मिलकर बाँध का समर्थन करने वाले सभी राजनीतिक नेताओं पर प्रतिबंध लगाने की अपील भी की गई। आज की महा एल्गार बैठक का आयोजन कामारी के किसानों द्वारा किया गया था।