हिमायतनगर, एम अनिलकुमार| शहर के घारापुर फाटा से बोरी मार्ग पर एक अज्ञात वाहन ने सड़क पार कर रही एक गर्भवती हिरण को टक्कर मार दी। यद्यपि गर्भवती हिरणी की मौके पर ही मौत हो गई, परंतु गर्भ में पल रहे भ्रूण का सुरक्षित जन्म हो गया। इसका पता चलते ही यहां के सामाजिक कार्यकर्ताओं और किसानों ने हिरण की बच्चे को वन विभाग को सौंप दिया और सरकारी नियमों के अनुसार मृत हिरण के शव का निपटान किया गया। बाता दै कि, यह घटना 3 मार्च को सुबह करीब 11 बजे घटी है।

वर्तमान में हिमायतनगर शहर और तालुका में तापमान 43 डिग्री से अधिक हो गया है, जिससे शरीर में गर्मी से दर्द और खुजली हो रहा है। घारापुर, हिमायतनगर और पलसपुर क्षेत्रों के पैनगंगा नदी बेसिन का जल स्तर घटा है, जिससे पालतू पशु, पक्षी और जंगली जानवर पानी की तलाश में विभिन्न दिशाओं में भटक रहे हैं। इसी तरह, पानी की तलाश में जंगल से भटककर एक गर्भवती हिरण अपने समूह के साथ हिमायतनगर, सरसम इलाके में पैनगंगा नदी के किनारे घारापुर फाटा क्षेत्र में आ गई। इस बीच, कहीं भी पानी न मिलने पर जब हिरणों का झुंड सड़क पार कर पैनगंगा नदी की ओर जा रहा था, तभी तेज गति से आ रहे एक अज्ञात वाहन ने गर्भवती हिरण को टक्कर मार दी। इस घटना में हिरण सीमेंट कंक्रीट सड़क से इतनी जोर से टकराया कि उसके पेट में पल रहा बच्चा सुरक्षित बाहर आ गया, लेकिन हिरण की मौके पर ही मौत हो गई।

जैसे ही यहां के ढाबा संचालक रामदास रामदीनवार, उनके साथियों और क्षेत्र के किसानों की नजर इस पर पड़ी तो उन्होंने पत्रकारों और वन विभाग को घटना की जानकारी दी। और चिलचिलाती धूप कि चपेट में आने से पहले मृत हिरण के बच्चों को उठाकर सुरक्षित रूप से हिमायतनगर वन रेंज अधिकारी के कार्यालय में लाया गया और उन्हें सौंप दिया गया। वन्यजीव प्रेमी नागरिकों द्वारा समय पर और सुरक्षित बचाव कर हिरण के बछडे को बचा लिया गया। वन विभाग के अधिकारियों ने वन्यजीवों के प्रति अपना स्नेह दिखाने के लिए नागरिकों की प्रशंसा की और उन्हें बधाई दी। और वन विभाग के अधिकारी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे, मृत हिरण के शव का पोस्टमार्टम कराया और एक सरकारी अधिकारी द्वारा उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

जलस्रोत सूखने से तीन दिन में दो हिरणों की आकस्मिक मौत
हाल ही में नांदेड़-किनवट राष्ट्रीय राजमार्ग पर हिमायतनगर कस्बे के पास एक हिरण पानी की तलाश में कुएं में गिर गया और उसकी मौत हो गई। इसकी सूचना मिलने पर वन विभाग के कर्मचारी तुरंत पहुंचे और कुएं में गिरे हिरण को निकालकर उसका अंतिम संस्कार किया। जबकि यह घटना अभी ताजा ही थी, तबी शनिवार को एक अन्य हिरण की दुर्घटना में मौत हो गई, तथा हिरण का बछडा सुरक्षित है। हिमायतनगर शहर और तालुका में जल स्तर कम होने के कारण जल निकाय सूख गए हैं, जिससे वन्यजीव खतरे में पड़ गए हैं। इसे देखते हुए वन्यजीव प्रेमी नागरिकों ने मांग की है कि वन विभाग नियमित रूप से टैंकरों के माध्यम से जलाशयों में पानी की आपूर्ति करे, जिससे जंगली जानवरों को पानी के लिए भटकने से बचेंगे और संभावित दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
हमारा स्टाफ नवजात शिशु की देखभाल कर रहा है।
जब इस बारे में वन विभाग के संबंधित अधिकारियों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वन विभाग ने जगह-जगह जलाशय बनाकर उनमें पानी डाला जा रहा है। जंगल में पेडो के पत्ते नहीं होने के कारण वन्यजीव प्रेमी बिना छाया के भटक रहे हैं। आज की दुर्घटना में बचे हुए हिरं के बछडे की चोटें स्थिर हैं, तथा चिकित्सा अधिकारियों ने घायल हिस्से पर पट्टी बांध दी है। वन रेंजर ने बताया कि फिलहाल हमारे कर्मचारी दुधड़ स्थित नर्सरी में हिरण के बछडे की निगरानी कर रहे हैं और उसे समय पर दूध और पानी उपलब्ध करा रहे हैं।