हिमायतनगर (एम अनिलकुमार) हिमायतनगर तालुका में पिछले डेढ़-दो महीने से लगातार बारिश हो रही है और किसानों के खेतों में फसलें लगभग न के बराबर हो गई हैं। दो दिन की बारिश के बाद बुधवार को फिर से बारिश शुरू हो गई। गुरुवार को दिन भर भारी बारिश होती रही। आसमान में लगातार बादल छाए रहने के कारण और भी भारी बारिश की संभावना है।

इस लगातार बारिश ने खरीफ सीजन को खतरे में डाल दिया है। सोयाबीन की फलियाँ खराब हो गई हैं और कपास के फल (बोन्ड) काले पड़ गए हैं। इससे किसान हताश हो गए हैं और सरकार द्वारा घोषित अल्प सहायता को किसानों का मजाक बता रहे हैं।


अगस्त से लगातार भारी बारिश और बाढ़ के कारण किसानों ने बीज, खाद और छिड़काव पर लाखों रुपये बर्बाद कर दिए हैं। नदियों और नहरों के किनारे के खेत पानी में डूब गए हैं और बांध टूट गए हैं। कई जगहों पर खेत बंजर हो गए हैं और कोई फसल नहीं बची है। अब, जो फसलें उंचाई पर बोई गई हैं, वे भी लगातार बारिश के कारण बर्बाद हो गई हैं। इसलिए, यह देखा जा सकता है कि इस साल की भारी बारिश ने 100 प्रतिशत नुकसान पहुँचाया है।



लगातार बारिश के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में कई घरों में दरारें पड़ गई हैं। हालाँकि, राजस्व प्रशासन ने पंचनामा नहीं किया है। इस कारण किसानों के लिए अपने घरों की मरम्मत करना असंभव हो गया है। किसानों के अनुसार, सरकार द्वारा घोषित 85 रुपये गुंठा सहायता न केवल अपर्याप्त है, बल्कि अपमानजनक भी है। इससे किसानों की भावनाओं को ठेस पहुँची है और आज किसान सचमुच बारिश के कारण दहशत में हैं। किसान पूरी तरह से हताश हैं क्योंकि कटी हुई सोयाबीन बर्बाद होने वाली है।
