हिमायतनगर, एम अनिलकुमार| शहर से उमरखेड़, ढाणकी, बोरी जानेवाली सड़क पर जानलेवा नडवा पुल का काम कब होगा..? यह सवाल गणेश भक्तों के साथ वाहन मालिक भी पूछ रहे हैं। यह पुल अब तक चार से पांच बार स्वीकृत हो चुका है, यह कहकर नेताओं ने नागरिक वाहन चालकों को कोने के गुड़ लगाने का काम किया गया..? ऐसी शंका आम जनता द्वारा जताई जा रही है. अब चार दिन बाद गणपति बापा का विसर्जन किया जानेवाला है. इसलिए नागरिकों एवं गणेश भक्तों में आक्रोश व्याप्त है कि अगर गणपति बप्पा को इस नडवा पुल से ले जाने के दौरान कोई अप्रिय घटना घटती है तो इसकी अनदेखी के लिए राजनीतिक नेताओं के साथ-साथ निर्माण लेखा एवं संबंधित ठेकेदार जिम्मेदार होंगे.

हिमायतनगर शहर एक तहसील स्तर का शहर है, शहर से आवाज कि दूरी यानी उमरखेड़ बोरी रोड पर पांडव युग में निर्माण हुवा कनकेश्वर झील के तट पर इच्छापूर्ति वरद विनायक का मंदिर है। गणेश चतुर्थी, अंगारिका चतुर्थी, गणेशोत्सव के दौरान हर दिन हजारों भक्त विनायक गणपति के दर्शन के लिए आते-जाते हैं। गणेशोत्सव के अंत में गणेश मंदिर के स्थान पर स्थित कुएं पर 11 दिनों तक उत्सव मनाने वाले भक्त अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेशजी का विसर्जन कर अगले वर्ष आने के लिए आमंत्रित किया जाता है। पिछले कई वर्षों से देखा जा रहा है कि विसर्जन जुलूस मार्ग पर स्थित नडवा पुल का काम अभितक नाही हुवा है. नागरिकों को इस पालखी मार्ग मार्ग पर स्थित नडवा पुल से बोरी, उमरखेड, यवतमाल, वाशिम, दिग्रस और पलसपुर, डोल्हारी से होते हुए ढाणकी, उमरखेड, माहुर जैसे दूर के गांवों और तीर्थ स्थलों पर जाना पड़ता है।

हिमायतनगर शहर से सटा हुआ नडवा नाला नाम का 30 वर्ष पुराना पुल है। उस पुल की हालत काफी खराब हो गयी है, जरा सी बारिश होने पर पुल से पानी बहने लगता है और घंटों तक आवागमन बंद हो जाता है. इसलिए विदर्भ-मराठवाड़ा संपर्क टूटते ही किसानों को अगले हिस्से में फंसना पड़ता. वहीं मनोकामना पूर्ति के लिए वरद विनायक के दर्शन के लिए जाना भी संभव नहीं है। दो से तीन शिक्षण संस्थान होने के कारण विद्यार्थी स्कूल नहीं जा पाते, इसलिए शैक्षिक क्षति होती है। इसलिए इस पुल को बनाकर लगातार होनेवाली समस्या को दूर करने की मांग की जा रही है. पुल की मांग की गई कि राजनीतिक नेताओं ने पुल को मंजूरी दे दी गई है.. ऐसा विगत पांच वर्षों से नागरिक, गणेश भक्तों को कहकर यह पुल का निर्माण जल्द ही पूरा हो जाएगा। ऐसा कहते कोहनियां रगड़ने का काम कर रहे हैं। लेकिन यह पुल अब तक पूरा नहीं होने से गणेश भक्तों, किसानों सहित अगले गांव व तीर्थस्थानों पर जाने वाले श्रद्धालुओं की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

हाल ही में शहर से नडवा नहर तक सीमेंट कंक्रीट सड़क बनाई गई है, जिससे पुल और भी करीब 7 से 8 फीट गहरा हो गया है। साथ ही सड़क के किनारे बने नाले की चौड़ाई कम हो जाने से भारी बारिश के कारण घरों में पानी घुस कर कई लोगों को रात जागकर गुजारनी पड़ रही है. इस नडवा नाले का कार्य नहीं होने से दोपहिया वाहन समेत ट्रैक्टर, स्कूल बस, ऑटो, बड़े ट्रक, बैलगाड़ी आदि वाहनों को जान जोखिम में डालकर चलाना पड़ रहा है। सीमेंट कंक्रीट सड़क से उतरने, सड़क को दोबारा पाटने और शहर की अगली सड़क पर सीमेंट कंक्रीट सड़क पर आने पर वाहन पलटने का खतरा बढ़ जाता है। हाल ही में छोटे-बड़े वाहनों के पलटने से कई लोग घायल हो गये हैं. नागरिक वाहन चालकों का कहना है कि नडवा नाले का पुल नहीं बनने के कारण ही इस तरह की दुर्घटनाएं होने लगी है.
अब गणेश उत्सव विसर्जन के दिन नजदीक आ रहे हैं. हिमायतनगर शहर में अधिकांश गणेश मूर्तियाँ 15 से 20 फीट ऊँची हैं और शहर में लगभग 30 मूर्तियाँ स्थापित हैं। विसर्जन के दिन, गणेश मूर्तियों को ट्रैक्टरों पर रखा जाता है और शहर के मुख्य जुलूस में ले जाया जाता है। और विसर्जन के लिए वाहनों से इन मूर्तियों को बोरी/उमरखेड़ रोड स्थित श्री कनकेश्वर तालाब स्थित कुएं पर ले जाने कि परंपरा है। चूँकि नडवा पुल नहीं बना है, सीमेंट सड़क और डामर सड़क के बीच नडवा पुल की ऊँचाई कम है, पुल 7 से 8 फीट गहरा है, इसलिए मूर्ति के साथ ट्रैक्टर और अन्य वाहनों को ले जाना बहुत मुश्किल है। यदि गणेश प्रतिमा ले जाते समय कोई अप्रिय घटना घट जाए, ट्रैक्टर नीचे और ट्रॉली ऊपर चढ़ जाए और प्रतिमा का संतुलन बिगड़ जाए तो इसके लिये कौन जिम्मेदार है..? ये सवाल अब गणेश भक्त भी पूछ रहे हैं.
नेतागण सिर्फ अपने वोटरों को खुश करने और चमक-दमककर अपनी वोट कि पगड़ी को मजबूत बनाए रखने के लिए झुडे वादे करते हैं। वास्तव में जरुरी काम करने की और अनदेखी करने से पिछले कई वर्षों से इस नडवा पूल को मंजुरी मिली कहकर..? अपना काम निकाल रहें है, सही माईने में इस पुलिया का निर्माण करना बोहत जरुरी था… किंतु इस निर्माण को जस को तस रखकर उंगलियों पर गिनती करनेवाले कई काम किये जा रहें है, वे भी घटिया और फर्जी होते दिखाई देते हैं, लेकिन इस निर्माण को राजनैतिक नेतागण देखते तक नहीं। परिणाम स्वरूप हिमायतनगर तहसील में हुए जादातर विकास हुआ कार्य से, ठेकेदारों, अधिकारी और राजनैतिक नेतागणो के बैलांस में वृद्धि हुई है। सामान्यतः राजनीतिक नेताओं द्वारा सामाजिक एवं आत्मीय कार्यों में की जा रही उपेक्षा इसका कारण बन रही है यह सवाल भी उठने लगा है।