नांदेड़, एम अनिलकुमार| बाजार में मध्य प्रदेश से बीज कम कीमत पर बिकने के लिए आने के कारण किसान उन्हें खरीदने के लिए दौड़ पड़े। बीज खरीदने के बाद किसानों ने उन्हें बोया, लेकिन आठ दिन बाद भी बीज अंकुरित नहीं हुए। इसलिए नांदेड जिले के थडी सावरगांव के किसानों ने कृषि अधिकारी से शिकायत की है कि, यह सोयाबीन के बीज नकली हैं, और अब इस पर जांच शुरू कर दी गई है।

बारह साल पहले नांदेड़ जिले के अधिकांश किसान नकदी फसल के रूप में बड़ी मात्रा में सफेद सोना माने जाने वाले कपास की खेती करते थे। लेकिन जब से महंगे बीज, खाद, दवाइयां, छिड़काव, कपास की कटाई का खर्च और मिलने वाले दाम में तालमेल नहीं बैठा, तब से किसानों ने सोयाबीन की खेती शुरू कर दी है। हालांकि, सोयाबीन के बीजों में बड़ी मात्रा में नकली बीज पाए जाने के कारण किसानों में डर का माहौल है।


नांदेड जिले के देगलुर तालुका के एक गांव थडी सावरगांव के किसानों ने मध्य प्रदेश से बेहतरीन और उत्तम बीज खरीदे। हालांकि, किसानों ने आरोप लगाया है कि ये बीज नकली हैं। किसानों ने मांग की है कि सरकार उन्हें मुआवजा दे और उन्हें दोबारा बुवाई के लिए नए बीज भी मुफ्त में मुहैया कराए। जब हमने इस मामले के बारे में रेजिडेंट डिप्टी कलेक्टर महेश वड्डकर से पूछा तो हमें लिखित शिकायत मिली। उन्होंने कहा कि हमने जांच शुरू कर दी है और अगर कोई नकली बीज पाया जाता है, तो हम उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
संयंत्रण समिति द्वारा की गई जांच
दौरान, हिमायतनगर के 51 किसानों, नायगांव के 3, भोकर के 1, उमरी के 1 और देगलुर के कुछ किसानों ने जिला कृषि अधीक्षक को लिखित शिकायत दी है, कि उनके सोयाबीन के बीज अंकुरित नहीं हुए। जिला कृषि अधीक्षक दत्ता कुमार कलसाइत ने कहा कि, शिकायत निवारण और नियंत्रण समिति इस मामले में क्षेत्र का दौरा कर रही है और जांच कर कार्रवाई करेगी।