हदगांव, शेख चांदपाशा| हदगांव तालुका के प्रकृति-समृद्ध डोगर क्षेत्र में सड़कों पर वन्यजीवों के कुचलकर मारे जाने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। कुछ दिन पहले ही, हदगांव कस्बे के निकट राज्य राजमार्ग पर एक अज्ञात वाहन की टक्कर से एक गर्भवती हिरणी और उसके बच्चे की दुखद मौत हो गई थी। जबकि उस दुखद घटना की यादें अभी भी ताजा हैं, एक और हृदय विदारक घटना प्रकाश में आई है, जिसमें एक और हिरण अज्ञात वाहन की चपेट में आकर मर गया।

नांदेड़-नागपुर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 361 पर हदगांव से करीब 16 किलोमीटर दूर शिवदरा गांव के पास अज्ञात वाहन की टक्कर से एक नर हिरण की मौके पर ही मौत हो गई। बताया गया है कि यह घटना तीन दिन पहले सुबह 7 से 8 बजे के बीच हुई। वन्यजीव प्रेमियों में तीव्र आक्रोश है, क्योंकि वन्यजीव के मौतों का यह सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। ज्ञात हुआ है कि, वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने घटनास्थल पर जाकर निरीक्षण किया है, पशु चिकित्सा अधिकारियों को सूचित किया है तथा शव को पोस्टमार्टम के लिए पशु चिकित्सा अधिकारी (मनाथा) के पास भेज दिया है।

हालाँकि, इस मामले में क्या हुआ इसका विवरण अभी भी अज्ञात है। इससे भी अधिक रोचक बात यह है कि जब ऐसी दुर्घटनाएं होती हैं तो वन विभाग केवल दस्तावेजों के आधार पर ही कार्रवाई करता है। घटना के बारे में क्या..क्या.. उपाय किये जा सकते हैं…? क्या जागरूकता बढ़ाई जा सकती है..? इस बारे में कुछ नहीं किया जा सकता. यह उस तालुका के प्रशासनिक दृष्टिकोण से बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, जिसे ऐसे अधिकारियों का आशीर्वाद प्राप्त है।

कम से कम एक बोर्ड तो लगाओ…!
तेलंगाना की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी मुख्य सड़कों पर ऐसे राजमार्गों पर नोटिस बोर्ड लगाना आवश्यक है, जहां वन्यजीव मौजूद हैं, जिसमें लिखा हो कि “पशु मौजूद हैं – वाहन धीरे चलाएं”। लेकिन वन विभाग इतना आलसी है कि…? बोर्ड लगाने का यह सरल कार्य भी नहीं किया जा रहा है। यद्यपि कुछ वन्यजीव प्रेमियों ने फोन और संदेश के माध्यम से संबंधित अधिकारियों को इसकी सूचना देते है, लेकिन वन्यजीव प्रेमी इस बात पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं कि इस बात को जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है और स्वार्थपूर्ण गतिविधियों पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।
नाराज वन्यजीव प्रेमियों की मांग, विधायक दें ध्यान…!
यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जंगली जानवरों को पीने के पानी के लिए सड़क पर आना पड़ता है और अपनी जान गंवानी पड़ती है। कई बार वन प्रेमी वन विभाग को सूचना भी देते हैं, लेकिन उसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। यह एक गंभीर मामला है और यह पता लगाना आवश्यक है कि प्रशासनिक उदासीनता कहां से आती है। इसलिए अब वन्यजीव प्रेमी जनता की पुरजोर मांग है कि विधायकगण स्वयं इस ओर ध्यान दें।