नांदेड/महाराष्ट्र| चीन के कोंगतोंग विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में पिछले 15 वर्षों से अध्यापन कार्य करने वाले विद्वान अध्यापक डॉ. विवेकमणि त्रिपाठी जी ने भारतीय ज्ञान प्रणाली वैश्विक परिदृश्य और चीन इस विषय पर अपना मंतव्य रखा। चीन में भारतीय नैतिक मूल्य से युक्त शिक्षा प्रणाली को किस प्रकार से स्वीकार किया इसका विस्तार से विवेचन किया।

साथ ही भारतीय ज्ञान प्रणाली किस प्रकार से तन और मन को मजबूत करती है इस पर बल देते हुए उन्होंने कहा चीन ने ऐसी शिक्षा पद्धति को स्वीकृत कर भारतीय ज्ञान प्रणाली का अनुकरण किया है। चीन के ज्योतिष, चिकित्सा, स्थापत्य कला, संगीत और भाषा पर भारतीय ज्ञान की गहरी छाप है। चीनी नक्षत्र विज्ञान और आयुर्वेदिक चिकित्सा भारत से प्रेरित हैं। संस्कृत के 37,000 से अधिक शब्द चीनी भाषा में समाहित हैं। बौद्ध स्तूपों की स्थापत्य कला चीन के शहरों में आज भी दिखती है। योग (मन-शरीर एकता) को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है। चीन जैसे देशों मंो योग केंद्रों की बढ़ती संख्या और लोकप्रियता इसका प्रमाण है। चीन में नैतिक शिक्षा अनिवार्य है, जबकि भारत में यह वैकल्पिक विषय बनी हुई है।

श्री शारदा भवन एजुकेशन सोसाइटी संस्था संचालित यशवंत महाविद्यालय नांदेड के हिंदी विभाग द्वारा 10 और 11 फरवरी 2025 को शंकरराव चव्हाण स्मृति भवन, नांदेड़ में भारतीय ज्ञान प्रणाली वैश्विक परिदृश्य इस विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। इस उपलक्ष में उन्हें बीज वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था। बीज भाषण के इस सत्र में वक्ता का परिचय करवाते हुए सत्र का सूत्र संचालन विद्वत्ता पूर्ण ढंग से डॉ. सुनील जाधव ने किया| वहीं सत्र का धन्यवाद ज्ञापन डॉ.वर्षा मोर ने किया। इस वक्त संगोष्ठी के आयोजक रूप में प्रधानाचार्य गणेशचन्द्र शिंदे, हिंदी विभाग प्रमुख डॉ.संदीप पाईकराव, डॉ.साईनाथ शाहु तथा भरत के विभिन्न प्रांतों से पधारे प्राध्यापक सभागार में उपस्थित थे |
