RSS and BJP to impose Hindi in Maharashtra मुंबई| महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने आज स्पष्ट शब्दों में कहा कि पहली कक्षा से हिंदी अनिवार्य करने का शासकीय आदेश तुरंत रद्द किया जाए। यह महज एक शैक्षणिक निर्णय नहीं, बल्कि संघ और भाजपा का संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज भाषाओं को खत्म कर केवल हिंदी थोपने का कुटिल षड्यंत्र है। सपकाल ने दो टूक कहा, “हम इस षड्यंत्र को नाकाम करेंगे और मराठी भाषा का गला घोंटने नहीं देंगे।

पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, “हमें हिंदी भाषा का सम्मान है, लेकिन उसे जबरन थोपना स्वीकार नहीं है। मराठी कोई साधारण भाषा नहीं, बल्कि हमारी जीवनशैली है। उन्होंने आगे बताया कि कई राजनीतिक दल, सामाजिक संस्थाएं और संगठनों ने इस निर्णय का विरोध अपने-अपने ढंग से किया है। “मैंने स्वयं साहित्यकारों को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर एकजुट होने का आह्वान किया है, कुछ संगठनों ने मोर्चे भी निकाले हैं।” सपकाल ने यह भी स्पष्ट किया कि “यह केवल एक शैक्षणिक प्रश्न नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक अस्मिता से जुड़ी लड़ाई है। इसमें हर व्यक्ति को भाग लेना चाहिए — कौन बुलाता है या किसका फोन आता है, यह गौण है। कांग्रेस पार्टी इस फैसले के विरुद्ध शुरुआत से संघर्षरत रही है।

पत्रकारों द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने पूछा: “अगर गुजरात में पहली कक्षा से हिंदी अनिवार्य नहीं है, तो केवल महाराष्ट्र में ही क्यों? भाजपा की एक ही सरकार दो राज्यों में दो नीतियां कैसे चला सकती है?” सपकाल ने भाजपा पर तीखा प्रहार करते हुए इसे उनका दोहरा मापदंड बताया और कहा कि “देवेंद्र फडणवीस और बावनकुले को इस पर जवाब देना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि M.S. गोलवलकर द्वारा लिखित विवादास्पद पुस्तक ‘बंच ऑफ थॉट्स’ पर भाजपा नेताओं को सार्वजनिक रूप से अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
