नांदेड़, एम अनिलकुमार| 2014 के बाद की आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक और राजनीतिक स्थिति की समीक्षा करते हुए, भारतीयों को वर्तमान स्थिति से अवगत कराते हुए और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रक्रिया में व्याप्त अस्पष्टता को स्पष्ट करते हुए, प्रसिद्ध पत्रकार अशोक वानखेड़े, दिल्ली ने अपनी प्रबल राय व्यक्त की, “वोट दान के लिए हैं, बिक्री के लिए नहीं, तभी लोकतंत्र बचेगा।”
अशोक वानखेड़े 13 जुलाई को नांदेड़ के जिला कलेक्टर कार्यालय स्थित नियोजन भवन में “भारतीय लोकतंत्र का भविष्य” विषय पर परम पूज्य स्वामी रामानंद तीर्थ स्मृति व्याख्यानमाला के प्रथम पुष्पपर चर्चा हेतु मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि सरकारी प्रमाणपत्रों के खेल में बिहार राज्य के 20% मतदाता कम हो जाएँगे और उन्होंने पूरे देश में यही प्रयोग शुरू होने की संभावना जताई। मतदाताओं ने लोकसभा में 405 का आंकड़ा पार नहीं करने दिया। मतदाता इस बात से अवगत हैं, यह बताते हुए पत्रकार अशोक वानखेड़े (टाइगर) ने “दे दान (वोट), सुते गिरन” का नारा देते हुए भारतीय लोकतंत्र के उज्ज्वल भविष्य में अपनी आस्था व्यक्त की।
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य वक्ता अशोक वानखेड़े ने मराठवाड़ा के आठ जिलों के लोगों को निज़ाम के चंगुल से मुक्त कराने के आंदोलन के प्रणेता परम पूज्य स्वामी रामानंद तीर्थ के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करके की। महेश देशमुख ने पुष्पांजलि अर्पित कर उनका स्वागत किया। प्रोफेसर डॉ. यशपाल भिंगे ने उनका परिचय कराया और व्याख्यान की भूमिका में विषय की प्रासंगिकता पर टिप्पणी की।
कार्यक्रम में लोकसभा सांसद प्रोफेसर रवींद्र चव्हाण, पूर्व राज्य मंत्री किन्हालकर, पत्रकार प्रदीप नागापुरकर, प्रजावाणी के संपादक शांतनु डोईफोडे, संविधान समर्थक प्रोफेसर डॉ. अनंत राउत, प्राचार्य डॉ. राम जाधव, कांग्रेस महिला जिला अध्यक्ष रेखाताई चव्हाण, प्राचार्य डॉ. मा. मा. जाधव, प्राचार्य डॉ. लक्ष्मण शिंदे, प्राध्यापक गौतम दुधाड़े, डॉ. राम वाघमारे, वसंत भैया, प्राध्यापकगण एवं पत्रकारगण आदि सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक एवं राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े विभिन्न गणमान्य उपस्थित थे।