हिमायतनगर (एम. अनिलकुमार) हिमायतनगर तालुका के दुधड़ स्थित जिला परिषद प्राथमिक विद्यालय में पिछले सात वर्षों से प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत गोविंद देवकते सर के तबादले का आदेश आते ही पूरा गाँव स्तब्ध रह गया।

शनिवार को जब देवकते सर नए स्कूल में कार्यभार ग्रहण करने जाने के लिए स्कूल पहुँचे, तो छात्रों ने उन्हें घेर लिया और उनकी आँखों से आँसू बहने लगे। कुछ छात्रों ने स्कूल का मुख्य द्वार भी बंद कर दिया और उन्हें सड़क पर रोक लिया। देवकते सर की विदाई केवल स्थानांतरण का क्षण नहीं था, बल्कि एक सच्चे ‘गुरु’ के कार्य की सार्वजनिक सराहना थी। आज उनका कार्य अन्य शिक्षकों के लिए आदर्श बन रहा है।


शिक्षक-छात्र संबंध का एक भावुक क्षण…
जब छात्र एक-दूसरे की बाहों में लिपटकर रो रहे थे, तो देवकते सर स्वयं अपनी आँखें पोंछते हुए दिखाई दिए। अभिभावकों, ग्रामीणों और साथी शिक्षकों की आँखों में भी आँसू थे। उपस्थित लोगों ने कहा — “शिक्षक तो बहुत आए और गए, लेकिन छात्रों के दिलों में इतने प्यार से घर बनाने वाला शिक्षक अलग ही होता है!”


कोरोना काल में जब स्कूल बंद था, तब भी देवकते सर ने ऑनलाइन के साथ-साथ मैदानी स्तर पर भी शिक्षा जारी रखी। दूसरी लहर में, उन्होंने स्कूल के प्रांगण में कक्षाएँ भरकर शिक्षा जारी रखने का साहसिक निर्णय लिया। “आज, सभी ने केवल वेतन के लिए काम करने वाले शिक्षकों और छात्रों के लिए रोने वाले शिक्षकों के बीच का अंतर देखा” – ग्रामीणों की प्रतिक्रिया कुछ इस प्रकार थी।

दुधड़ स्कूल आज तालुका में अव्वल है – क्योंकि इसकी एक ही वजह है… ‘देवकते सर’ – जहाँ ज़िला परिषद के स्कूलों की संख्या घट रही है, वहीं दुधड़ स्कूल आज लगभग शीर्ष पर है। शिक्षा व्यवस्था, अनुशासन और छात्रों से संवाद, इन तीन सिद्धांतों के कारण देवकते सर छात्रों के दिलों पर राज कर रहे थे।