हिमायतनगर (एम अनिलकुमार) महाराष्ट्र सरकार द्वारा 2 सितंबर, 2025 को जारी किये हुए सरकारी निर्णय के अनुसार मराठा समुदाय के लोगों को मराठी कुनबी समुदाय से जोड़कर उनके लिए ओबीसी प्रमाणपत्र प्राप्त करने का रास्ता खोल दिया है। हिमायतनगर तालुका में ओबीसी समुदाय के सदस्यों ने सार्वजनिक रूप से विरोध प्रदर्शन कर इस निर्णय का कड़ा विरोध किया।

ओबीसी समुदाय ने न केवल विरोध प्रदर्शन किया, बल्कि सरकार द्वारा जारी अन्यायपूर्ण अध्यादेश को जलाकर भी अपना आक्रोश व्यक्त किया। इस दौरान, सरकार के इस निर्णय को तत्काल रद्द करने की पुरजोर मांग की गई। ओबीसी समुदाय की ओर से प्रस्तुत बयान में कहा गया है कि, यह निर्णय पूरी तरह से अन्यायपूर्ण, अवैध और असंवैधानिक है। बयान में कहा गया है कि इससे ओबीसी समुदाय की 400 से अधिक जातियों के अधिकार प्रभावित होंगे और शिक्षा एवं नौकरी के क्षेत्रों में उनका प्रतिनिधित्व खतरे में पड़ जाएगा।

बयान में आगे कहा गया है कि, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के अनुसार, आरक्षण केवल सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए है। मराठा समुदाय को शामिल करना इन सिद्धांतों का उल्लंघन है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि, सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का उल्लंघन करते हुए केवल राजनीतिक दबाव में जातियों को आरक्षण में शामिल नहीं किया जा सकता।



बुधवार को हिमायतनगर सकल ओबीसी समुदाय ने तहसीलदारों के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भेजकर सरकार के इस निर्णय का विरोध किया। सरकार को ओबीसी समुदाय के प्रतिनिधित्व, अधिकारों और आरक्षण की रक्षा के लिए एक ठोस नीति की घोषणा करनी चाहिए। किसी भी समुदाय को ओबीसी आरक्षण में अनुचित रूप से शामिल नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि जारी किए गए अन्यायपूर्ण जि.आर. को रद्द किया जाए। और चेतावनी दी कि, अगर सरकार ने तुरंत यह निर्णय वापस नहीं लिया तो वे व्यापक आंदोलन शुरू करेंगे।

इस अवसर पर ओबीसी आरक्षण बचाव संघर्ष समिति तालुका अध्यक्ष बाबाराव जरगेवाड, खंडूजी माधवराव काले, दिलीप आला राठोड, प्रभाकर मुधोलकर, सुभाष शिंदे, मयांबा होलकर, सदाशिव सातव, बाबूराव होनमने, अशोक अनगुलवार, नीलेश चटने, अभिषेक बकेवाड, दिनेश राठोड, लक्ष्मण जाधव, नारायण देवकते, अशोक अचमवाड, श्याम जक्कलवाड, आनंद मुतनेपाड, सदाशिव काले, राम नरवाडे, सचिन धोंडू पाटिल, दत्ता देवकते आदि सहित सैकड़ों ओबीसी समुदाय के लोग उपस्थित थे।