नांदेड़, एम अनिलकुमार| शहर के भोई गली और सिद्धनाथपुरी के नागरिक मानसून के दौरान पानी के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं, और नगर आयुक्त पानी की कमी वाले क्षेत्रों की ओर ध्यान नहीं देते हैं। इसलिए, इस क्षेत्र के नागरिकों को कभी-कभी नल के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जाती है। अगर वे करते भी हैं, तो पानी भी दूषित और बदबूदार होता है, इसलिए नागरिकों को डर है कि महामारी से निपटने की नौबत आ जाएगी।

अगर मानसून आता भी है, तो नांदेड़ वाघाला नगर निगम की सीमा में भोई गली और सिद्धनाथपुरी के नागरिक पानी के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं। चूंकि नगर आयुक्त ऊंट पर बैठे हैं और बकरियों को चरा रहे हैं, इसलिए इस वार्ड के नागरिकों को दूषित पानी पीना पड़ रहा है। नल से आने वाला पानी दो दिनों से बाधित है और वह भी दूषित और बदबूदार होने के कारण नागरिकों, महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य खतरे में है।


एक ओर सरकार स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। लोगों के स्वास्थ्य के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं भी चला रही है। लेकिन नांदेड़ महानगरपालिका के अधिकारी जानबूझकर इसकी अनदेखी कर रहे हैं और ठेकेदारों और जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर फर्जी बिल जारी कर नागरिकों को दूषित जल उपलब्ध करा रहे हैं ऐसा आरोप किया जा राहा है। महिलाएं और पुरुष नागरिकों पर स्वच्छ जल के नाम पर नांदेड़ के नागरिकों को दूषित जल उपलब्ध कराने का आरोप लगा रहे हैं।
इस संबंध में भोई गली और सिद्धनाथपुरी के नागरिकों ने आयुक्त को पत्र लिखकर कहा है कि पानी दो…नहीं तो इस्तीफा दो…। हालांकि नागरिकों का कहना है कि आयुक्त इस पत्र की अनदेखी कर केले की टोकरी दिखा रहे हैं। दूषित जल से तंग आ चुके नांदेड़ वाघाला महानगरपालिका के प्रभावित नागरिकों में गुस्से की लहर है। नांदेड़ के जिला कलेक्टर राहुल कर्डिले से मांग की जा रही है कि वे इस ओर ध्यान दें और भोई गली और सिद्धनाथपुरी में नागरिकों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिए निर्देश दें। जिला कलेक्टर इस पर क्या निर्णय लेंगे..? दूषित पानी से पीड़ित नागरिकों का ध्यान इस ओर लगा है।