औरंगाबाद/नांदेड/हिमायतनगर| औरंगाबाद खंडपीठ ने गोरक्षक प्रमुख के खिलाफ मामला रद्द करने का आदेश दिया, जिन्होंने बलि के लिए मवेशियों को ले जा रहे वाहन को रोका, चालक को पीटा और पुलिस को बुलाकर मामला दर्ज कारवाया था।

याचिकाकर्ता किरण सुभाष बिच्चेवार, नांदेड़ संभाग गोरक्षा प्रमुख, राष्ट्रीय राजमार्ग से गुजर रहे थे, तभी उन्होंने मवेशियों को ले जा रहे एक अप्पे ऑटो रिक्शा को देखा और वाहन को रोका और पूछा कि मवेशियों को क्यों ले जाया जा रहा है। उससे पूछताछ करने पर उसने गाली-गलौज की, इसलिये उन्होने रिक्शा चालक को पीटा और पुलिस को बुलाकर मामला दर्ज कराया। इसलिए चालक ने याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया था।

याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता श्रीमंत मुंडे और अधिवक्ता अमोल चाटे के माध्यम से उच्च न्यायालय में मामला रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी। न्यायालय ने याचिका को मंजूर करते हुए गोरक्षक प्रमुख के खिलाफ मामला रद्द करने का आदेश पारित किया है।
राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहन को रोकना, उससे पूछताछ करना और पुलिस में मामला दर्ज कराना गैरकानूनी नहीं है। साथ ही संविधान के मूल कर्तव्य के तहत अनुच्छेद 48 के अनुसार यदि कोई संज्ञेय अपराध होने की संभावना है तो हम भारतीय नागरिकों के मूल कर्तव्य के रूप में उसे रोकने का प्रयास कर सकते हैं। वहीं महाराष्ट्र राज्य में वर्ष 2015 से गौरक्षा कानून लागू होने के बाद भी कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के आशीर्वाद से प्रतिदिन गौ हत्या और बलि के लिए परिवहन जारी है। इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला गलत है।

इसे घोषित करते हुए माननीय उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ ने गौ रक्षक के खिलाफ मामला रद्द करने का आदेश दिया है। पूरे महाराष्ट्र में पुलिस द्वारा गौ रक्षकों के खिलाफ इसी तरह के मामले गलत तरीके से दर्ज किए गए हैं। अब से इस निर्णय के कारण पुलिस गौ रक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं कर पाएगी। उच्च न्यायालय के इस निर्णय का स्वागत करते हुए अधिवक्ता श्रीमंत मुंडे और अधिवक्ता अमोल चाटे को गौ रक्षकों और गौ प्रेमियों द्वारा बधाई दी जा रही है।
इस संबंध में किरण बिच्चेवार ने कहा, “अब तक हम संविधान द्वारा दिए गए अपने मौलिक कर्तव्य के तहत कानून के दायरे में रहकर गोरक्षा के लिए काम करते रहे हैं। चूंकि हम पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं, इसलिए पुलिस ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए गलत तरीके से गोरक्षकों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था और आज हमें खुशी है कि हमें न्याय मिला है।”