नांदेड़| मेडिकल कॉलेजों में दिव्यांग पीजी मेडिकल छात्रों के लिए आठ घंटे काम का नियम लागू करने की मांग की गई है। बेरोजगार दिव्यांग समिति ने इस संबंध में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखा है। समिति के नांदेड अध्यक्ष राहुल साल्वे के अनुसार दिव्यांग पीजी मेडिकल छात्रों से अवैध रूम से अत्यधिक काम कराया जा रहा है। उन्होंने नियमानुसार 1992 की सेंट्रल रेजिडेंसी स्कीम लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि मांग नहीं मानी गई तो नौ और 15 अगस्त को नांदेड में दिव्यांगजन आक्रोश मोर्चा निकाला जाएगा।

उल्लेखनीय है कि यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट ने दिनांक 28.06.2025 को भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को इस संबंध में शिकायत भेजी थी। इसमें दिव्यांग पीजी मेडिकल छात्रों के अत्यधिक ड्यूटी घंटों के कारण शारीरिक मानसिक यंत्रणा पर रोक लगाने की मांग की गई थी। इसके आलोक में भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय अतंर्गत डिपार्टमेंट ऑफ इमपावरमेंट ऑफ परसन्स विथ डिजेबिलिटीज (दिव्यांगजन) ने ऑफिस मेमोरेंडम दिनांक 02.07.2025 जारी किया है। इसके माध्यम से सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को दिव्यांग पीजी मेडिकल स्टूडेंट्स के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।

बेरोजगार दिव्यांग समिति द्वारा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। अधिनियम के अनुसार शिक्षण संस्थानों का दायित्व है कि दिव्यांगजन की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उनके लिए विषय इंतजाम करे। लेकिन जीएमसी नांदेड़ सहित राज्य के मेडिकल कॉलेजों में दिव्यांगजन पीजी मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया है। उक्त आलोक में समस्त जीएमसी नांदेड़ समेत राज्य भर के दिव्यांग पीजी मेडिकल छात्रों की विशेष जरूरत के अनुसार सुविधा उपलब्ध कराने तथा भारत सरकार की 1992 की नियमावली के अनुरूप प्रतिसप्ताह 48 घंटे तथा एक बार में अधिकतम 12 घंटे निर्धारित डयूटी सुनिश्चित करने की मांग की गई है। जल्द ही नांदेड़ जीएमसी का विजिट करके दिव्यांगजन मेडिकल स्टूडेंट्स तथा अस्पताल प्रबंधन से मुलाकात की योजना बनाई जाएगी। स्टूडेंट्स को भयमुक्त वातावरण में अपनी समस्या बताने का अवसर दिया जाएगा ताकि प्रबंधन के दबाव में सच को छुपाना संभव न हो।
