नांदेड़, एम अनिलकुमार| नांदेड़ के केला उत्पादकों को अपनी खेती में ‘टिशू कल्चर’ तकनीक का लाभ मिलेगा। इससे केले का उत्पादन बेहतर गुणवत्ता वाला, रोग मुक्त और निर्यात योग्य होगा। शुक्रवार को केंद्रीय टीम ने भारतीय खाद्य सहकारी समिति लिमिटेड, नई दिल्ली के सहयोग से नांदेड़ जिले के मुदखेड तालुका के मौजे खुजडा में सरकारी स्वामित्व वाली पचास एकड़ जमीन पर प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण किया। इसके लिए नांदेड़ के साथ-साथ जालना और जलगांव जिलों पर भी विचार किया जा रहा है।

‘टिशू कल्चर’ की स्थापना के साथ-साथ बीज उत्पादन, सुरक्षा और संरक्षण सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी ताकि किसानों को ‘केले’ की अच्छी गुणवत्ता और प्रचुर उत्पादन का लाभ मिल सके। इस परियोजना के लिए केंद्रीय टीम ने 4 जुलाई 2025 को नांदेड़ जिले का दौरा किया।

नांदेड़ के सरकारी विश्राम गृह के बैठक कक्ष में डॉ. जयप्रकाश तम्मिनन की उपस्थिति में जिला कृषि अधिकारी दत्तकुमार कलसाईत ने एक प्रस्तुति के माध्यम से नांदेड़ जिले में केले के क्षेत्र के बीच के अंतर को भरने के लिए प्रस्तावित परियोजना की तकनीकी उपयुक्तता और आर्थिक व्यवहार्यता, नांदेड़ और आसपास के आठ जिलों में क्षेत्र विस्तार, उत्पादन उत्पादकता और निर्यात वृद्धि के अवसर, टिशू कल्चर संवर्धन पौधों की वर्तमान उपलब्धता और आवश्यकता, नांदेड़ जिले के लिए उक्त परियोजना की उपयुक्तता और नांदेड़ जिले की बुनियादी सुविधाएं जैसे सड़क, रेलवे, हवाई संपर्क, सिंचाई, अनुसंधान केंद्र आदि की जानकारी दी।
